LIVE TVअपराधन्यूजब्रेकिंग न्यूज़

घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी ,दर्द से राहत पाने और गंभीर रूप से रोगग्रस्त घुटनों में मददगार

आर्थोप्लास्टी के लिए केएमसी सबसे सही जगह- प्रत्यारोपण विशेषज्ञ

महेंद्र ( तहसील प्रभारी महाराजगंज सदर )

महाराजगंज l केएमसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल मे लगातार हड्डी रोग विभाग द्वारा प्रत्यारोपण की प्रक्रिया संपादित की जाती है . प्रत्यारोपण को लेकर लोगों के बीच कई तरह की अवधारणा बनी हुयी है लेकिन हड्डी रोग विशेषज्ञों की माने तो घुटने के गठिया से जुड़ा पुराना दर्द व्यक्ति के जीवन मे काफी दिक्कत देता है। दैनिक काम काज को भी बहुत प्रभावित कर सकता है। जब परम्परागत उपचार और उपाय इस दर्द को दूर करने में असफल होते हैं, तो घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी का सहारा लिया जाता है। जिससे कि घुटने की कार्यक्षमता को बहाल करने और रोगियों को एक सक्रिय जीवन शैली में वापस लाने में मदद मिलती है। घुटने का प्रत्यारोपण यानी आर्थोप्लास्टी, एक शल्य चिकित्सा है जिसमें घुटने के जोड़ को कृत्रिम अंग से बदल दिया जाता है. इस प्रक्रिया में, घुटने के जोड़ की क्षतिग्रस्त हड्डियों को काटकर उनकी जगह धातु के कृत्रिम अंग लगा दिए जाते हैं. कृत्रिम अंग धातु और प्लास्टिक से बना होता है. इसमें, जांघ की हड्डी के सिरे और पिंडली की हड्डी के ऊपरी हिस्से के बीच एक प्लास्टिक प्लेटफ़ॉर्म या स्पेसर डाला जाता है. यह प्लास्टिक कुशन का काम करता है, ताकि धातु के दो हिस्से एक-दूसरे से टकराएं नहीं. कृत्रिम अंग को सीमेंट बॉन्डिंग एजेंट या ऑसियोइंटीग्रेशन की मदद से हड्डी में स्थिर किया जाता है.

हड्डी रोग विभाग के विभागाध्यक्ष बताने है कि गठिया जोड़ों की सूजन है। हड्डियों के सिरों पर ऊतक से दूर धीरे-धीरे एक परत चढ़ती जाती है जिससे जोड़ों में स्थान की कमी और हड्डियों की सतहों पर घर्षण होता है, नियमित रूप से हड्डी की गतिशीलता में बदलाव होता है जिसके कारण गंभीर रूप से दर्द होने लगता है । इन सभी तकलीफों से छुटकारा पाने में घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी सबसे बेहतर समाधान है । जिसके जरिये घुटनों का इलाज और उसे वापस पहले के जैसे ही स्वस्थ और सामान्य गतिविधियों के लायक बनाया जा सकता है। हड्डी से जुडी कई समस्यायें प्रायः देखी जाती है जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस जो कि यह 50 साल की उम्र के बाद किसी व्यक्ति मे हो सकता है ,यह व्यक्ति के परिवार में गठिया के इतिहास पर निर्भर करता है। वे ऊतक जो घुटने की हड्यिों के लिए कुशन का काम करते हैं वे मुलायम पड़ जाते हैं और इसके बाद हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती हैं जिससे तेज दर्द तो होता ही है घुटनों में कड़ापन भी आ जाता है। वही रयूमेटाइड ऑर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों की भीतरी झिल्ली मोटी हो जाती है और उसमें सूजन भी आ जाती है। इसके परिणामस्वरूप इन जोड़ों को चिकनाई देने वाले द्रव का बहुत अधिक उत्पादन होता है। जोड़ों में देर तक बनी रहने वाली यह सूजन हड्डियों के सिरों को ढंकने वाले ऊतक को नुकसान पहुंचा सकती है और अंततः इसका परिणाम ऊतक को नुकसान, दर्द और कठोरता के रूप में सामने आता है । डा समीम खान बताते है कि आज के समय मे केएमसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल मे लागातार इस तरह के मरीज आते है और अपनी समस्या का समाधान लेकर जाते है । हम यहा प्रयास करते है कि जानकरी के आभाव मे कोई भी सही ईलाज से बंचित न रह जायें। चेयरमैन विनय सर द्वारा जिस विजन के साथ केएमसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की स्थापना की गई है आज हमारा विभाग उसे पुरा कर रहा है । गरीबों के लिए सुलभ चिकित्सा उपल्बध है । हम नियमीत रूप से सफल प्रत्यारोपण सर्जरी संपादित कर रहे है और इसका लाभ जनता को हो रहा है । बस लोगाें मे विमारीयों के प्रति जागरूकता जरूरी है ।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!