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त्रिकोणीय लड़ाई में फंसती दिख रही भाजपा, बसपा गायब

अपने जीवन का सबसे कठिन चुनाव लड़ रहे पाल।

अनिल कुमार ( तहसील प्रभारी शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर )

सपा के कुशल तिवारी और एएसपी के चौधरी अमर सिंह ने भाजपा का पूरा सियासी समीकरण बिगाड़ दिया है।

सिद्धार्थनगर

लोकसभा-60 डुमरियागंज संसदीय सीट पर चुनाव बहुत रोचक हो गया है। भाजपा के जगदम्बिका पाल और सपा के कुशल तिवारी के बीच होने वाली जंग ने अन्तिम क्षणों में चुनावी तापमान बहुत गर्म कर दिया है। यहां की लड़ाई त्रिकोणीय बनती जा रही है। इनमें सबसे बुरी हालत बसपा की है। उसकी भूमिका इस चुनाव में गायब सी हो गई है। चुनावी परिचय संकेत देते हैं कि लगातर तीन बार सांसद रहे भाजपा के जगदम्बिका पाल अपने जीवन की सबसे कठिन चुनावी जंग लड़ रहे हैं। मगर सपा से उतरने वाले ताकतवर ब्राह्मण चेहरे कुशल तिवारी और आजाद समाज पार्टी के युवा उम्मीदवार चौधरी अमर सिंह के चलते भाजपा का दो विशाल वोट बैंक बुरी तरह विभाजित हो गया है। गत चुनाव भाजपा प्रत्याशी पाल ने बसपा के आफताफ आलम को लगभग 1.06 लाख वोट से हराया था। इसमें 11 प्रतिशत ब्राह्मण और 6 प्रतिशत कुर्मी वोट एक मुश्त भाजपा के पक्ष में गिरे थे। मगर सपा के कुशल तिवारी और आसपा के चौधरी अमर सिंह ने इस बार भाजपा का जातीय समीकरण बिगाड़ कर रख दिया है। गत दिवस संसदीय क्षेत्र के ग्राम मल्दा, बर्डपुर नम्बर एक, पतिला, बढ़नी चाफा, सेमरी, मन्नीजोत, डिवली डीहा, देवरिया, कटरिया आदि गांवों का दौरा करने के बाद पाया कि उक्त गांवों में रहने वाले ब्राह्मण अथवा कुर्मी समाज के लोगों को बड़ा वोट आने अपने सजातीय प्रत्याशी कुशल तिवारी अथवा चौधरी अमर सिंह के पक्ष में झुका दिखाई देता है। यदि यही विभाजन पूरे क्षेत्र का है तो भाजपा को बड़ी मुशकिल का सामना करना पड़ सकता है। इस चुनाव की सबसे रोचक बात बसपा का लापता होना है। शुरू में उम्मीद थी कि बसपा के मुस्लिम कैंडीडेट नदीम मिर्जा मुसलमान वोटों को बसपा के साथ जोड़ कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनायेंगे। मगर वे न मुसलमानों को जोड़ सके न ही दलितों को खींच सकें। दलित वोट इस समय तीन खेमों में जुटा दिखाई देता है। उसका बड़ा हिस्सा केवल हाथी निशान देख कर ही बटन दबायेगा, लेकिन दूसरा बड़ा हिस्सा चन्द्रशेखर रावण के कारण चौधरी अमर सिंह के साथ खड़ा है। दलितों का पढ़ा लिखा वर्ग संविधान पर खतरे की बात कर इडिया गठबंधन को वोट देने की बात करता दिखता है। इस बार भाजपा के पक्ष में दलितों का झुकाव नगण्य है। शायद भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल इस खतरे को समझ रहे हैं। अतीत में दलितों के एक हिस्से ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। यह देखते हुए जगदम्बिका पाल अपने भाषणों में संविधान बदलने के बजाये संविधान संशोधन की बात कर रहे हैं। वे दलितों को अप्रत्यक्ष रूप से आश्वासन देते हुए कहते हैं कि भाजपा संविधान संशोधन कर पीओके को भारत में मिलाने का काम करेगी। अब पाल की यह सफाई दलितों को कितना प्रभावित करेगी, यह मतदान के बाद स्पष्ट हो सकेगा। कुल मिला चुनाव प्रचार के अन्तिम दिन यहां बसपा लापता की हालत में है। अमर सिंह चौधरी त्रिकोण का तीसरा कोण बना चुके हैं। जातीय समीकरण की दृ‌ष्टि से सपा के कुशल तिवारी लाभ की पोजिशन में हैं और जगदम्बिका पाल अपनी चौथी कामयाबी के लिए प्रयासरत हैं। अब देखना है कि आने वाले दो दिनों में चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है।

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